- सुसमाचार क्या है ?
सुसमाचार दो शब्दो को जोड़कर बनाया गया हैं ।
1.सु = खुश , 2.समाचार = खबर
खुश + खबर = खुशखबर
अंग्रेजी में सुसमाचार को Gospel कहते हैं ।
सुसमाचार यह हैं की ,
प्रभु येशु मसीह हमारे पापो के लिए मारे गए गाड़े गए और तीसरे दिन जी उठे ।
इसे ही सुसमाचार कहते है। केवल इतना ही नहीं , परमेश्वर की हर एक बातें सुसमाचार ही कहलाति हैं । (पर इसमें मुख्य केंद्र बिंदु प्रभु येशु मसीह का बलिदान हैं ।)
इन बतों से संबंधित बाइबल की कुछ आयतें । (1 कुरिन्थियों 15:3-4)
- बाइबल में कुल ४ सुसमाचार की पुस्तके हैं ।
१.मत्ती
२.मरकुस
३.लुका१
४.युहन्ना
ये ४ सुसमाचार की किताबे ४ अलग अलग व्यक्तियों ने अपने अपने शब्दों में लिखी हैं । और जिन व्यक्तियों ने ये पुस्तके लिखी हैं, और जो पुस्तकों के नाम हैं, वही लेखकों के नाम भी हैं । इन्हीं ४ किताबों को बाइबल में सुसमाचार की किताबे कहा जाता हैं ।
इन चारों सुसमाचार की किताबों में हम येशु मसीह की जीवन शैली देख पाते हैं ।
अब हम सुसमाचार को और भी गहराई से देखेंगे ।
परमेश्वर ने सबसे पहले इंसान को जो इस धरती पर बनाये थे । उनका नाम आदम और हव्वा था ।
परमेश्वर ने आदम और अव्वा को जो आज्ञाएं दी थी, वो उन्होंने तोड़ दी थी । और जो आज्ञा उन्होने तोड़ी थी, उसकी सज़ा परमेश्वर ने पहले से हि मृत्यु ठहराई थी। परमेश्वर ने उनको पहले से हि जितनी आज्ञाए है, वो उन्हे बता दी थी। फिर् भी उन्होंने परमेश्वर की बातो को ना मान कर शैतान की बातो को सुना जिससे की सभी मानव जाति में वो पाप का श्राप फेल गया , और जितने भी मानव धरती पर जन्म लेते हैं। वो आदम और हव्वा के पापमय स्वभाव के साथ ही हर एक इंसान जन्म लेते हैं। क्योंकि सभी मानव जाति के मुल माता पिता आदम और हव्वा ही कहलाते हैं।
इन बतों से संबंधित बाइबल की कुछ आयतें । (रोमियो 5:17-21)
[17]क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।
[18]इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ।
[19]क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।
[20]और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ।
[21]कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे
क्योंकि पाप की सज़ा मृत्यु है और मृत्यु यानी की नर्क । तो क्या परमेश्वर ने हमें माफ़ नही किया ? तो आइए हम इस सवाल का जवाब पाने के लिए आगे पढ़ेंगे । परमेश्वर जितना अपने वादों का पक्का है उतना हि दयालु भी हैं । परमेश्वर ने मनुष्यों पर अपना प्रेम जारी रखा ।
इन बतों से संबंधित बाइबल की कुछ आयतें । (यूहन्ना 3:16-17)
[16]क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
[17]परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
और मनुष्यों की माफ़ी के लिए एक योजना (plan) ठहराई , और वो योजना कुछ इस प्रकार थी ।
की मनुष्यों के पापों को माफ़ करने के लिए एक ऐसा मनुष्य चाहिए था, जो की निष्पाप और निर्दोष हो । कहने का तात्पर्य यहीं हैं , की जिसने कभी पाप ना किया हो अर्थात पवित्र हो । और ऐसा मनुष्य पूरे दुनिया में कोई भी नहींं था । क्योंकि जो भी मनुष्य इस धरती पर जन्म लेता वो उस पापमय स्वाभाव के साथ हि लेता । पर जो योजना परमेश्वर ने बनायी थी, वो अद्धभुत थी और सफल थी। परमेश्वर ने देखा की कोई भी पवित्र नहीं है । उस वक्त परमेश्वर ने अपना एकलोता पुत्र भेजा अर्थात येशु मसीह । ताकि उसके के बलिदान के द्वारा सम्पूर्ण मानव जाति बचाई जाए ।
(इब्रानियों 9:22)
[22]और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लोहू बहाए पाप क्षमा नहीं होती॥
इब्रानियों 10:4
[4]क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे।
क्योंकि जानवरों का लोहू मनुष्य के पापों को सिर्फ ढाप देता था, पर प्रभु येशु मसीह का लोहू अनेक पापों को मिटा देता हैं ।
परमेश्वर तो अति पवित्र स्वर्ग में विराजमान हैं ।
उनके तुल्य कौन हैं ? उन्होंने खुद पवित्रआत्मा के द्वारा एक कुवारी स्त्री के गर्भ में से इस धरती पर जन्म लिया ।
और बालक का नाम येशु रखा गया। और जिस स्त्री के गर्भ मे से उन्होंने जन्म लिया था, उनका नाम मरियम था। जो की धर्मी स्त्री और परमेश्वर के भय मे चलती थी । और परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था ।
और धीरे धीरे प्रभु येशु बड़े होते गये। और उन्होंने अपनी सेवकाई सुरु की और अद्धभुत चिन्ह चमत्कार भी किये जैसे की अंधो को आँखे दी, गूंगो को आवाज़, बहरो को सुनने की सकती, कोढ़ियों को ठीक करना , यहा तक की उन्होंने मुर्दों को भी ज़िंदा किया । ये सब बाते सारे देश मे फैलती गयी, और बहुत से लोगो ने प्रभु येशु मसीह पर विश्वाश किया, की यह जो दुनिया मे आने वाला मसीहा हैं । यह वही हैं । पर कुछ लोगो ने येशु पर विश्वाश नहीं किया।
और बहुत से शास्त्री फरीसी लोग जो की मंदिर मे हुआ करते थे । प्रभु येशु मसीह को झूठा समझते थे। और इस ताक में रहते थे , की कब प्रभु येशु कोई गलती करे और कब हम उसे पकड़ कर झूठा साबित करके, उसे दंड दे।
शास्त्री और फरीसी लोगो को दिखाने के लिए परमेश्वर के काम किया करते थे । उनका मन परमेश्वर से दूर था । लेकिन प्रभु येशु मसीह परमेश्वर की आज्ञाओ को अधिकार से लोगो को बताते थे । गलत को गलत और सही को सही बताते थे । सबसे महत्व की बात यह हैं, की प्रभु येशु मसीह अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बताते थे वो भी अधिकार से ।
एक दिन ऐसा हुआ शास्त्री फरीसीयो ने प्रभु येशु से पूछा क्या तु परमेश्वर का पुत्र हैं ? प्रभु येशु ने कहा हा में हूँ ।
इस पर लोग प्रभु येशु मसीह पर इतना क्रोधित हुए की येशु मसीह को पकड़ कर क्रूस पर लटकाकर मारने को ले गए ।
और उस पर थूका गया ,थप्पड़ मारे , मज़ाक उड़ाया गया , ३९ कोड़े मारे गए , और हाथों मे किले पैरो में किलें जड़ दिये गये , फिर सिर पर काटों का ताज़ पहनाया गया । ये सारि बातें हमारे अपराधों के कारण हुई । कुछ देर बाद येशु मसीह ने यह कहकर अपने प्राण छोड़ दिये की पुरा हुआ। और तीसरे दिन कुछ इस प्रकार हुआ की प्रभु येशु मसीह अपने वचनों के अनुसार ज़िंदा हुएँ ।
ये सारी घटना तो होनी हि थी । बाइबिल में पुराने नियम के भाग में प्रभु येशु मसीह के जन्म से भी बोहोत सालों पेहले प्रभु येशु मसीह की जन्म भविष्यवाणियां हुई थी । उसमे से एक जन्म कि भविष्यवाणी यह भी थी, की दुनिया के पापों को मिटाने / उद्धार करने के लिए एक व्यक्ति जन्म लेगा जो की पवित्र होगा और वो परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा ।
और जो कोई उस पर विश्वास करेगा उसे मुक्ति प्राप्त होगी उसे पापों से माफ़ी मिलेगी और अनंत जीवन उसे मिलेगा ।
और ये सारी बातें हम नए नियम में प्रभु येशु मसीह के जीवन में पुरा होते हुए देखते हैं । इससे हमें पता चलता हैं की जो पुराने नियम में भविष्यवाणीयां हुईं थी।वह प्रभु येशु मसीह के लिए हुईं थी।
- क्या हमें सुसामाचार अपने तक ही सिमित रखना हैं ?
इसका जवाब हैं नहीं। सुसामाचार हमें अपने तक हि सिमित नहीं रखना हैं।
बल्कि और लोगों तक भी पहुंचना हैं। अलग अलग जाती तक पहुंचना है।
क्योंकि प्रभु येशु मसीह ने कहा की तुम जगत में जाकर मेरा सुसमाचार फेलओ ताकि हर कोई व्यक्ति जीवन पाए और स्वर्ग जाये।
प्रभु येशु मसीह नहीं चाहते की एक भी व्यक्ति नाश हो अर्थात नर्क जाए। प्रभु येशु मसीह ने सब कुछ हमारे लिए पुरा किया हैं।
अब हमारा कर्तव्य यही हैं , की हमें सुसमचार मिला हैं, तो किसी के ज़रिये हि मिला हैं । वैसे हि हमें भी लोगों तक सुसमाचार पहुंचाना हैं । और बाइबिल हमें यह बताती हैं की सम्पूर्ण मानव जाति का कर्तव्य यही हैं की हम परमेश्वर की इच्छा को पुरी करे ।